अक्स बनाए स्वयं को उसका, धर्म सजाए, कर्म के रूप। अक्स बनाए स्वयं को उसका, धर्म सजाए, कर्म के रूप।
भरा रहे थाल रोटी का आखिर बात है अपनी रोटी का।। भरा रहे थाल रोटी का आखिर बात है अपनी रोटी का।।
फिर मंदिरों के बाहर सिग्नल पर और वृद्धा आश्रम में मां किसने बिठाई है ? फिर मंदिरों के बाहर सिग्नल पर और वृद्धा आश्रम में मां किसने बिठाई है ?
बहुत पढ़ा रट पी गया, दर्शन वेद पुराण। पर गुरु की किरपा बिना, मिटा न उर अज्ञान।। बहुत पढ़ा रट पी गया, दर्शन वेद पुराण। पर गुरु की किरपा बिना, मिटा न उर अज्ञान।...
अन्न-धन-कामानुरागस्य च , पञ्चमे ज्ञान-बुभुक्षा । अन्न-धन-कामानुरागस्य च , पञ्चमे ज्ञान-बुभुक्षा ।
किसी का किसी पर न प्रभाव रहता मन में संतुष्टि का भाव रहता। किसी का किसी पर न प्रभाव रहता मन में संतुष्टि का भाव रहता।